Thursday, August 8, 2013

LADKE ....A POEM FROM MY POETRY BOOK " RABAAB"

                    लड़के

कई लड़के बहुत  रंगीन होते हैं
जो मन के समुंदर से
हर रोज़
रंगीन मछलियाँ पकड़ते पकड़ते
मछली मछली
अक्सर सफेद हो जातें हैं.….

कई लड़के मज़ीद  सादा होते हैं
जो मनचाही लड़की को
दिल की बात कहने के लिए
वैलेंटाइन डे का इंतज़ार करतें हैं
और उसके हाथों में पकडे
दर्जनों फूलों में कहीं खो जाते हैं.……

कई लड़के बहुत आवारा होते हैं
जो सड़क पर चलती
हर मासूम लडकी की
माहवारी तारीख जान लेते हैं
और मौका मिलने पर
उस तारीख पर रोंक लगा देते हैं.…….

कई लड़के बहुत अनाड़ी होते हैं
जो किसी ख़ास लड़की से
अक्सर शरमा जाते हैं
और फिर
सारी उम्र के लिए
हंसना भूल जाते हैं.……

कई लड़के बहुत खिलाडी होते हैं
जो हर लड़की पर
एक जैसी नज़र रखते हैं
हर लड़की को बड़ी शिद्दत से चाहते हैं
और अपनी पते वाली सबज डायरी
लाल लकीरों से भर देते हैं.…….

कई लड़के बहुत हँसमुख होते हैं
जो दूसरों को
हँसाने के लिए
अपने दिल की टीसों को
कहीं अंदर दबा लेते हैं
और दिन प्रति दिन पिंज़र हो जाते हैं.…….

कई लड़के बहुत जवान दिखते हैं
जो और जवान होने की चाह में
हर रकम से तकसीम हो जाते हैं
और एक दिन खुद से मनफी होकर
बचे मखोटे में
खुद को ढूंढते हैं.…….

और कई लड़के  मेरे जैसे पागल होते हैं
जो अपना साथ ढूंढते
किसी महासागर में डूब जाते हैं
और स्वे बूँद से सारी उम्र
महासागर मापते हैं।

(Published first time in my poetry book 15 years back )

Saturday, June 22, 2013

GAZAL .......चाँद से

           ग़ज़ल

चाँद  से बस  ये गिला   है  I
ठोकरें  खाकर   मिला   है  I

याद  आता   ही  नहीं वो ,
ये  दिया  उसने  सिला  है  I

लाश भवरे की मिली है ,
फूल जब- जब भी खिला है I

तेज़ हैं यादों  के  नश्तर ,
बस ये ज़ख्मों को गिला है I

ख़ाब में जो कशमकश  है ,
सोच का ही सिलसिला  है  I

ज़िंदगी 'खामोश ' तनहा
साथ  बेशक  काफिला  है I

     

Sunday, June 2, 2013

ग़ज़ल ....कर गया दर्द फिर बेहाल मुझे

                 ग़ज़ल  
                                                                                                                          
कर गया दर्द फिर बेहाल  मुझे ॥  
जब भी आया तेरा ख्याल मुझे ॥


वो मुझे अब तो और ही लगता ।
जो था मेरा ही खुद सवाल मुझे ॥


मैं  जिसे  ढूँढता  रहा हूँ  सदा  ।
पास रह  कर  करे  मुहाल मुझे ॥


फ़लसफ़ा ज़िन्दगी का कुछ भी नहीं ।
मौत से ये  रहा मुलाल  मुझे ॥


साथ तेरे हैं दोस्तों ने कहा ।
पर हक़ीकत  करे बेहाल मुझे ॥


फिर तो "जसबीर" दर्द बड ही गया ।
उसने पुछा जो हाल-चाल मुझे ॥