Saturday, July 12, 2014

मैं 
अमन की बात 
करने जा रहा हूँ
……
बस
हथियार 
तैयार  रखना । 

Sunday, July 6, 2014

A GAZAL FROM MY BOOK OF GAZALs "KHUMARI"

एक  ग़ज़ल


वफ़ादारी निभाकर अब वो कैसे बे-वफ़ा होगा ।
ये उसका दूसरा चिहरा तो बस उसको पता होगा ।

मैं कतरा था समन्दर ने मुझे भी रास्ता देकर ,
कहा था गर किनारे पर गए तो हादसा होगा  ।

वो सीने से लगाकर ही जिसे दिन रात रखते थे
मेरे अंदर वही ज़ख्मी  परिंदा चीखता होगा ।

मेरी आँखों के अंदर खो गया निकला हुआ आँसू ,
मुझे मालूम है वो जब मिला मोती बना होगा ।

सुना है सर्द मौसम में कभी वो सो नहीं पाता ,
वो पागल आसमां को ओढकर  फिर खींचता होगा ।

खुले कपडे पहनकर सो गया मेरा कोई सपना ,
के जैसे उसके सपने का कफ़न मेरा पता होगा ।  

कई तूफान उसकी याद का हिस्सा बने होंगे ,
कभी जब ज़र्द पत्ता सबज़ पत्ते देखता होगा ।

अभी "जसबीर" तो अनजान है समझा नहीं खुद को ,
मगर यह ज़िंदगी क्या चीज़ इतना जानता होगा ।